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Brahmamuhurt
13 Oct
345

दिनचर्या

दिनचर्या (Daily Routine)

समय    क्रिया    
ब्राह्म मुहूर्त (सुबह सूर्योदय से लगभग 1½ घंटे पहले जागना)    
क्रिया - जागना, मन शांत रखना, सकारात्मक सोच    
लाभ -  दिन की शुरुआत ताजगी व ऊर्ज़ा से होती है; मन अधिक सशक्त, सत्व-गुण बढ़ता है। 

उषःपान (एक गिलास गुनगुना पानी पिएँ)**
शरीर के अंदर बसे विषाक्त पदार्थ (आमा) को बाहर निकालना, पाचन तंत्र को शुरू करना    

मल-मूत्र विसर्जन    
शुद्धिकरण; अग्नि (पाचन शक्ति) सही बनाना    

दन्तधावन व जीभ शोधन (ब्रशिंग + जीभ की सफाई)    
मुँह की स्वच्छता; स्वाद कलिका सुधरती है; गले व नाक आदि-रोकथाम होती है    

कवला / कुल्ला / गंडूष    
मुँह व गले की स्वच्छता; जीवाणु कम होते हैं    

अंजन / नेत्र शोधन    
आँखों को विश्राम; दृष्टि औरं नेत्र स्वास्थ्य बेहतर होता है    

नस्य / कर्णपूरण (नाक व कान में तिल या उपयुक्त औषध तेल)    
शिरोभाग व सन्धुओं को पोषण; मानसिक स्पष्टता; सर्दी-जुकाम में लाभ    

अभ्यंग (तेल मालिश)    
त्वचा, स्नायु, घावों में रक्त संचार बढ़ाना; तनाव कम करना; त्वचा में नमी लाना    

व्यायाम / योग / प्राणायाम    
शरीर को सक्रिय रखना; दोषों का संतुलन; मानसिक स्वास्थ्य    

स्नान (गर्म पानी से)    
बाह्य शुद्धिकरण; ऊर्जा बढ़ाना; दिन के लिए ताजगी    

मध्यान भोजन (दोपहर का भोजन)    
जब पाचन शक्ति सर्वाधिक हो, उसी समय मुख्य भोजन करना चाहिए    

भोजन के बाद थोड़ी विश्राम / हल्की सैर    
पाचन में सहायता; शरीर को आराम; स्थूलता से बचाव    — सामान्य आयुर्वेदिक सुझाव
रात्रि भोजन हल्का और समय पर    
सोने से 2-3 घंटे पहले खाना खाएँ; पाचन ठीक हो; निद्रा अच्छी हो    

रात की दिनचर्या (रात्रिचर्या)    शाम को शांत गतिविधियाँ – 
पढ़ना, ध्यान, हल्की बातचीत; अत्यधिक तनाव और स्क्रीन से बचें — आयुर्वेद में मन और इन्द्रियों को शांत रखना महत्वपूर्ण माना गया है
समय पर निद्रा (प्रायः रात 9-10 बजे तक सो जाना)    
शरीर-मन को पूर्ण विश्राम; दोषों का संतुलन; स्वास्थ्य और दीर्घायु बनाना

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