दिनचर्या (Daily Routine)
समय क्रिया
ब्राह्म मुहूर्त (सुबह सूर्योदय से लगभग 1½ घंटे पहले जागना)
क्रिया - जागना, मन शांत रखना, सकारात्मक सोच
लाभ - दिन की शुरुआत ताजगी व ऊर्ज़ा से होती है; मन अधिक सशक्त, सत्व-गुण बढ़ता है।
उषःपान (एक गिलास गुनगुना पानी पिएँ)**
शरीर के अंदर बसे विषाक्त पदार्थ (आमा) को बाहर निकालना, पाचन तंत्र को शुरू करना
मल-मूत्र विसर्जन
शुद्धिकरण; अग्नि (पाचन शक्ति) सही बनाना
दन्तधावन व जीभ शोधन (ब्रशिंग + जीभ की सफाई)
मुँह की स्वच्छता; स्वाद कलिका सुधरती है; गले व नाक आदि-रोकथाम होती है
कवला / कुल्ला / गंडूष
मुँह व गले की स्वच्छता; जीवाणु कम होते हैं
अंजन / नेत्र शोधन
आँखों को विश्राम; दृष्टि औरं नेत्र स्वास्थ्य बेहतर होता है
नस्य / कर्णपूरण (नाक व कान में तिल या उपयुक्त औषध तेल)
शिरोभाग व सन्धुओं को पोषण; मानसिक स्पष्टता; सर्दी-जुकाम में लाभ
अभ्यंग (तेल मालिश)
त्वचा, स्नायु, घावों में रक्त संचार बढ़ाना; तनाव कम करना; त्वचा में नमी लाना
व्यायाम / योग / प्राणायाम
शरीर को सक्रिय रखना; दोषों का संतुलन; मानसिक स्वास्थ्य
स्नान (गर्म पानी से)
बाह्य शुद्धिकरण; ऊर्जा बढ़ाना; दिन के लिए ताजगी
मध्यान भोजन (दोपहर का भोजन)
जब पाचन शक्ति सर्वाधिक हो, उसी समय मुख्य भोजन करना चाहिए
भोजन के बाद थोड़ी विश्राम / हल्की सैर
पाचन में सहायता; शरीर को आराम; स्थूलता से बचाव — सामान्य आयुर्वेदिक सुझाव
रात्रि भोजन हल्का और समय पर
सोने से 2-3 घंटे पहले खाना खाएँ; पाचन ठीक हो; निद्रा अच्छी हो
रात की दिनचर्या (रात्रिचर्या) शाम को शांत गतिविधियाँ –
पढ़ना, ध्यान, हल्की बातचीत; अत्यधिक तनाव और स्क्रीन से बचें — आयुर्वेद में मन और इन्द्रियों को शांत रखना महत्वपूर्ण माना गया है
समय पर निद्रा (प्रायः रात 9-10 बजे तक सो जाना)
शरीर-मन को पूर्ण विश्राम; दोषों का संतुलन; स्वास्थ्य और दीर्घायु बनाना